उत्साह
उत्साह
मुट्ठी बांध मनुज
पग को थाम जमीं पर अपने
अभी लड़ना तुझे बाकी है ,
तेरे तन मे जान अभी बाकी है।
अभी उड़ान तुझे भरना है
आसमां मे तेरा हिस्सा बाकी है
अभी उड़ान तुझमें बाकी है
तेरे तन मे जान अभी बाकी है।
पंख नहीं है पास तेरे
कौन तुझे ये कहता है ?
आँखे बंद कर देख जरा
अंदर तेरे जो बैठा है।
मन का पंक्षी तेरा सोया है
उत्साह के दाने वो चुगता है
पर तुझे जगाना बाकी है
पर तुझे जगाना बाकी है।
जब तक तू, थक ना जाये
तब तक सोना बेकार है तेरा
संघर्षों से युद्ध अभी बाकी है ,
अभी उड़ान तुझमें बाकी है।
पर घबरा मत तू
ये दुनियाँ तेरी भी है।
पर हिस्सा तुझको अपना लेना होगा
तुझको अपनों के लिए नहीं
पहले खुद के लिए लड़ना होगा |
ये इतना भी आसान नहीं
पहले तुझको डर से अपने डरना होगा
और डर से फिर अपने लड़ना होगा
जीत कर तुझे खुद को दिखाना होगा
पर ये इतना आसान नहीं
पहले उत्साह को तुझे जगाना होगा
तुझे थोड़ा थमना होगा
पर ये इतना भी आसान नहीं
अभी अपनों से लड़ना बाकी है।
दो पैरों वालें जानवरों का मिलना
तुझे भी बाकी है।
नरभक्षी इंसान बैठे है
ताक लगाए , घात लगाए
लिए पिपासा रक्त की
चट करने वो बैठे है
जी थाम ले बंदे तू ,
उत्साह जितना चाहे भर ले तू
चुनौतियाँ मिलना तुझे ,अभी बाकी है
ललकार अभी बाकी है
मल युद्ध अभी बाकी है।
पर तू उत्साह रख ,उत्साह रख
जब तक तू गिर ना जाये
तब तक तुझको लड़ना है
पर गिर कर भी तुझको उठना है
इतना उत्साह रखना काफ़ी है।
गिर कर हार मत
हार कर गिर मत
शेष जब तक जीवन है
दिल मे अपने तू
उत्साह रख , उत्साह रख।
पेट का क्या है ?
कभी न ये भरता है
बस जीने को सिर्फ भरना है
मंजिल न मिले जब तक
तुझको चलना बाकी है
अभी उड़ान तुझमें बाकी है।
पतंग मे डोर जब तक शेष है ,
तब तक इसको उड़ना है।
गीले आसमां को छू कर
जमीं पर वापस गिरना है
फिर भी खुद को वो आजमाता है
जमीं पर गिर कर भी ,
वापस ,आसमां को जाता है
फिर किस बात से तू डरता है
अभी उड़ान तुझमें बाकी है।
शेष है साँसे जब तक
तू हार मत , तू हार मत
तुझको चलना बाकी है।
तुझको उड़ना अभी बाकी है।
मन को समझा जरा
पतंग मे डोर नहीं
फिर भी ये कैसे ,
उड़ने का गुमान रखता है
फिर मानव मन
अरे क्यू तू पीछे रहता है
बस उत्साह रख, उत्साह रख
जीवन मे आगे बढ़ने का
अभी गुमान तुझमें भी बाकी है
तुझको जीतना बाकी है
अभी उड़ान तुझमें बाकी है।
बिखरे -बिखरे से शब्द मेरे।