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Kusum Lakhera

Fantasy Thriller

4  

Kusum Lakhera

Fantasy Thriller

उस पार

उस पार

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इस पार मोह के धागे हैं ...

लोभ के बंधन जागे हैं .….

उस पार न जाने कैसा होगा संसार ?

टिमटिमाते तारों का शामियाना ....

क्या वहाँ भी झिलमिलाता होगा

ग्रहों नक्षत्रों के आगे भी 

दूसरी दुनिया का कारवाँ... होगा ....

मन की गति से चलने वाले ..यान 

 वहाँ पर... दौड़ लगाते होंगे ?

कल्पना को सच में बदलने वाले 

एक सैकंड में चमत्कार करने वाले 

सपनों को पंख लगाने वाले ...

एलियन जाति के लोग...

क्या वहाँ पर रहते होंगे ? 

मशीनी सभ्यता का चरम उत्कर्ष ..

उस पार वहाँ अपने चरम पर मिलता होगा।

क़िस्मत की जगह वहाँ पर.......

तकनीकी ज्ञान का पुष्प खिलता होगा !

प्रकृति भी वहाँ पर नव रूप ...

नव रंग में नजर क्या आती होगी ?

क्या एक चाँद की जगह वहाँ पर

 ढेर सारे  चाँद निकलते होंगे ?

एक सूर्य की जगह वहाँ पर ...

ढेर सारे रंग बिरंगे बैंगनी चमकते सूर्य 

अपनी लौ से जलते होंगे ?

तकनीकी चमत्कार से नित नवीन आविष्कार से ..

एलियन अपनी शक्ति को दुगुना चौगुना करते होंगे ?

 


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