मेरी माँ
मेरी माँ
जिस प्रेम में पूर्णता मिली
जिस आँचल में छाया मिली
जिस गोद में निंद्रा मिली
जिस हाथ में पकड़ मिली
जिस स्पर्श में कोमलता मिली
जिस मुख से कृपा मिली
जिस चरणों में दुनिया मिली
ऐसी है मेरी माँ जिसके
वजूद से मेरी हस्ती बनी।
जिस प्रेम में पूर्णता मिली
जिस आँचल में छाया मिली
जिस गोद में निंद्रा मिली
जिस हाथ में पकड़ मिली
जिस स्पर्श में कोमलता मिली
जिस मुख से कृपा मिली
जिस चरणों में दुनिया मिली
ऐसी है मेरी माँ जिसके
वजूद से मेरी हस्ती बनी।