मिल जाए जो अलादीन का चिराग
मिल जाए जो अलादीन का चिराग
जादू का अद्भुत चिराग मिला अलादीन को,
बदल दिया था जिसने उसके पूरे जीवन को,
बरसों से बिता रहा था वो गरीबी का जीवन,
अलादीन का चिराग बना खुशियों का चमन,
काश कोई ऐसा जादू का चिराग मिल जाता,
कोई जिन्न जरूरतमंदों की मुराद पूरी करता,
कोरोना का जो दौर अभी चल रहा जीवन में,
ऐसे में कोई ऐसा ही चिराग आ जाए हाथों में,
काम धंधा ठप पड़ा गरीब खाने को तरस रहा,
ऑक्सीजन की खातिर इंसां आज भटक रहा,
फुटपाथों पर भूखा सोने को है मजबूर गरीब,
ईश्वर भी बंद आंखों से बस सब कुछ देख रहा,
मिल जाता किसी तरह अलादीन का चिराग,
थोड़ा तो मिट जाता जग से दुख और संताप,
रगड़ते जब चिराग हम जिन्न हो जाता प्रकट,
भरपेट खाकर सोता गरीब मिट जाता संकट,
कतरा -कतरा सांस के लिए ना तरसता इंसान,
झट से ऑक्सीजन सिलेंडर का होता इंतजाम,
काश कोई करिश्मा कुदरत का जो ऐसा होता,
न जाने कितने मासूमों की बच जाती की जान,
पर यह अलादीन का चिराग अब कहां मिलेगा,
कष्ट में जी रहे मासूमों का हिसाब कौन करेगा,
न तो अब कोई जिन्न है न अलादीन का चिराग,
दुख और तकलीफ है यहां चारों ओर बेहिसाब,
हे ईश्वर त्राहिमाम हो रही धरती कर रही पुकार,
कोरोना से मुक्ति दिला कर कोई ऐसा चमत्कार,
बना किसी को अलादीन फिर से दे वही चिराग,
अब और सहन नहीं हो पा रहा है दुखों का राग।
