उनको आदत नहीं
उनको आदत नहीं
जिनकी बेरुख़ी ने हमें मारा उसे बेरुख़ी का तोहफ़ा न देना कोई,
हमने तो दर्द को गले लगा लिया उनको सहने की आदत नहीं..
पत्थर सा सही हमने तो चाहा था प्यार समझकर, होगा सबके लिए आम आदमी
हमारा तो कभी खुदा रहा उनको झुकने की आदत नहीं..
न तोड़ना दिल उनको कोई अपना बनाकर अब तक तो संभाल कर रखा था मेरे इश्क ने
उनको टूटने की आदत नहीं..
वफ़ा की उम्मीद न रखना उनसे भँवरे सी उनकी फ़ितरत रही वादों की डोर से रिश्ता न जोड़ना उनको निभाने की आदत नहीं..
इंतज़ार में उसके न तड़पना कोई जान भी दे दोगे उन पर मरते-मरते,
पर उनको समय पर पहुँचने की आदत नहीं..
गलती से भी न रूठना कोई उनसे टूटता है गर रिश्ता तो टूट जाए एकतरफ़ा अंगीठी जलती रहेगी उनको मनाने की आदत नहीं..
यकीन है मुझे उनकी चाहत पर बेपरवाह है बेमुरव्वत भी है, फिर भी इनके करीब न जाना कोई, मेरे सिवाय किसी और को चाहने की उनको आदत ही नहीं।