उम्र के इस दौर में
उम्र के इस दौर में
उम्र के इस दौर में भी
थोड़ा रूमानी हुआ जाए
मन करता है कि वो
कभी घर आते कुछ फूल ही ले आए
कभी कभी वो
कॉफी डेट पे ले जाए
कमर पे वोलनी लगाते लगाते
फिर मेरे कांधे के तिल का जिक्र कर जाए
डॉक्टर के यहां इंतजार करते करते
वो पहली डेट के इंतजार का जिक्र कर जाए
पर हाए ये उम्र !
ये होते उम्रदराज हम
बस बीमारियों का जिक्र
बीमा पॉलिसियों का जिक्र
दांतों के टूटने का जिक्र
करते करते कब चार कंधों पे
हो सवार पहुंच जाएंगे
अन्तिम सफर पर
फिर दोनो में से बचे एक को याद आएगी
अच्छी बुरी रूमानी रूहानी सब यादें
पर बस फिर बांटने वाला ना कोई होगा
सुन ने वाला ना कोई होगा
तो आज ही कह दो ना
थोड़ा प्यार आज ही जता दो ना
थोड़ा रूमानी से हो जाओ ना
मेरे आज को महका दो ना।