उम्मीद
उम्मीद
एक उम्मीद तो दो प्रभु कहीं से,
तुम्हारे होने का जो विश्वास जगा दे।
छल भरी इस दुनिया में कहीं से,
तुम्हारे होने का अहसास दिला दे।
चारों तरफ मच रहा है हाहाकार,
अनंत तकलीफ दुख फैला अपार।
प्राणवायु जीवन दायनी थी जो अब तक,
सहस्त्र प्राणों तक पहुँच न पा रही।
कुछ कृपा के फूल बरसा दो कहीं से,
जो तुम्हारे होने की महक दिला दे।
एक उम्मीद तो दो प्रभु कहीं से,
तुम्हारे होने का जो विश्वास जगा दे।
छल भरी इस दुनिया में कहीं से,
तुम्हारे होने का अहसास दिला दे।
मायाजाल में फंसा मानव मन जो,
स्वार्थ ही स्वार्थ देखे है हर पल वो।
कठिन परिस्थिति में भी इंसान आज,
खोने लगा है अपनी इंसानियत को।
कुछ करुणा की बूंदे बरसा दो कहीं से,
जो तुम्हारी दी दया की दृष्टि दिला दे।
एक उम्मीद तो दो प्रभु कहीं से,
तुम्हारे होने का जो विश्वास जगा दे।
छल भरी इस दुनिया में कहीं से,
तुम्हारे होने का अहसास दिला दे।