"उम्मीद"
"उम्मीद"
किसी से हद से ज़्यादा की गई,उम्मीद
एकदिन हमारी रातों की उड़ा देती,नींद
हद से ज्यादा उम्मीद,दुःख देती,असीम
छोड़ दे पर उम्मीद,कार्य करेगा,बेहतरीन
किसी पर किया,बहुत ज़्यादा भरोसा
एकदिन वो ही देता,बहुत बड़ा धोखा
जो गर ज़माने में कोई भरोसेमंद होता
फिर हमको ज़माने में दुःख क्यों होता?
आजकल किसी पर न करना,यकीन
हर मित्र होता न,कर्ण जैसा बेहतरीन
वो ही शख्स खोदते,पैरो तले जमीन
जिन पर होता यकीं,वो करते गमगीन
मानाकि उम्मीद पर दुनिया कायम है
हर कोई यहां कमबख्त नही कम है
हर कोई दर्द देख न करे,आंख नम है
सबके सब यहां पर बेदर्द सितमगर है
खुद से की गई उम्मीदे,चुकाती है,ऋण
बाकी ज़माने की उम्मीदें,अक्षु देती तीन
किसी से हद से ज्यादा की गई,उम्मीद
अपनी ही नौका में छेद करना,महीन
छोड़ ज़माने की उम्मीदें,बेमतलब हीन
खुद को बना साखी,ताजातरीन मीत
खुद से की उम्मीद,देगी लक्ष्य जमीन
जिंदगी में सर्वत्र जीत होगी,आफरीन।