उम्मीद मेरी टूट गई है
उम्मीद मेरी टूट गई है


उम्मीद मेरी टूट गई है
खुशी मेरी रूठ गई है
टूटा हूं,शीशे की तरह,
अब सांसे भी लूट गई हैं
जिसको अपना जाना,
उसीने दिया हमे ताना,
अब तो इस दीपक से,
रोशनी भी छूट गई है
उम्मीद मेरी टूट गई है
खुशी मेरी रूठ गई है
अपने ही मयकश में,
मय मुझसे छुट गई है
टूटे हुए ख्वाबों से,
टूटे हुए धागों से,
फिर भी तुझे,
पतंग तो उड़ानी है,
ख़ुद की ख़ुद से,
उम्मीद मिल गई है
जंगल मे घूमने की,
दिलेरी मिल गई है!