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Mukesh Kumar Goel

Fantasy

4  

Mukesh Kumar Goel

Fantasy

उदासी !

उदासी !

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जब भी देखता हूँ,

अपनी किसी फोटो को,

न जाने क्यों,

वो ख़ुशी नहीं दिखती अब,

नहीं आती है मुस्कुराहट,

नहीं आती है हँसी,

जब भी कहता है फोटोग्राफर,

मुसकुराइये,

एक अजीब सी उदासी,

चाहकर भी,

नहीं हटा पाता हूँ,

नहीं ला पाता हूँ,

हल्की सी स्मित रेखा,

अपने चेहरे पर,

ये अन्दर की उदासी,

जो झलकती है,

हर वक़्त,

हर पल,

पता नहीं कब से,

नहीं छोड़ती मेरा पीछा,

नहीं छूट पा रहा हूँ मैं,

इसके चंगुल से,

खोजता हूँ इसका कारण,

पर वो भी तो नहीं आता समझ,

वो माँ - पिता का जाना,

छोड़ कर मुझे,

या है कुछ और?

शायद ये उदासी,

चिपक गयी है अब तो,

मेरे चेहरे और होंठों पर,

जो नहीं छूट पा रही है,

चाह कर भी मैं,

नहीं मुस्कुरा पा रहा हूँ।



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