तुमको चाहा
तुमको चाहा
तुमको चाहा तो तेरा होके जिये
मौज पी पी के मुस्कराए, जिये।
ख़ौफ़ से रूबरू रहे पल पल
शोखियां,मस्तियाँ लुटा के जिये।
आग से तपते हुये मौसम में
तुम्हारी छांव में ठहर के जिये।
तुमसे पूछा भी नहीं ,कैसे लगे
वजूद अपना तेरे रूप में छिपा के जिये
