तुमसे पूछा भी नहीं ,कैसे लगे वजूद अपना तेरे रूप में छिपा के जिये। तुमसे पूछा भी नहीं ,कैसे लगे वजूद अपना तेरे रूप में छिपा के जिये।
याद आते हैं वो गर्मियों के दिन की फिर इंतजार गर्मियों की छुट्टियों का होना । याद आते हैं वो गर्मियों के दिन की फिर इंतजार गर्मियों की छुट्टियों का होना ।
यूँ ही नहीं उठ रही है लपटें कहीं तो दिल हुआ है धुआं-धुआं !! यूँ ही नहीं उठ रही है लपटें कहीं तो दिल हुआ है धुआं-धुआं !!
सब कुछ जल रहा है और एक नया रास्ता बन रहा है सब कुछ जल रहा है और एक नया रास्ता बन रहा है
बचपन के दिन थे कितने सुहाने , चलो फिर चले उन दिनों को वापस लाने ! बचपन के दिन थे कितने सुहाने , चलो फिर चले उन दिनों को वापस लाने !