गर्मियों के वो कुछ खास पल
गर्मियों के वो कुछ खास पल
याद आते हैं वो गर्मियों के दिन की फिर
इंतजार गर्मियों की छुट्टियों का होना
गर्मियों की छुट्टियों में फिर नाना नानी के घर जाना
वहां जा खूब सारे मौज मस्तियां करना
और गलियों में खड़े हो
अपने दोस्तों को रिझाना
क्या खूब वो दिन थे
आज बहुत याद आते हैं।।
फिर तपतपाती धूप की दोपहर
टोकरिया हम ले दौड़े जाए
आम के बागों पर
कुछ दोस्तों के संग फिर
फिर से हो मौज मस्तियां
की टीकोरियों की तलक में
बीत जाए वह तपतापाती दुपहरिया
वो आम के रस और
नानी मां के हाथ की लप्सिया
क्या खूब वो दिन थे
आज बहुत याद आते हैं।
छिप छिप के खेलने को जाना
और फिर डरे सहमे से घर वापस आना
पैरों की आयते सुन नानी मां का चिल्लाना
और चिल्ला फिर हमें यू शहला ना
वो खूब क्या दिन थे
आज बहुत याद आते हैं।।
फिर यू अचानक बदलो की गर्जन
और हबाओ का यू मचल जाना
बरीशो की बूंदों के संग मिल
इंद्रधनुष निकलने का इंतजार करना
और उंगलियो को दिखा
उन्हें गायब होते देख
यू खिलखिला मुशकुराना
और तालिया दे वो थाहाका लगाना
क्या खूब थे वो दिन
आज बहुुुत याद आते हैं ।।