तुम्ही रब हो तुम्ही मंजिल
तुम्ही रब हो तुम्ही मंजिल
कोई गलती हुई तुझसे न सजा की बात कर।
इश्क तो इश्क है इसमें न दगा की बात कर।
मेरी धड़कनो में कृष्ण से बसे हो आकर तुम।
तुम्ही में खो गई हूं मुझसे न अब मेरी बात कर।
तुम्हारे वजूद में शीतल महक सी घुल गई हूं मैं
तुम्हें अख्तियार है जो करना है वो मेरे साथ कर।
मेरी हथेलियों की रेखाओं मे तुम्ही बस तुम्ही तुम हो ।
तुम्ही रब हो तुम्ही मंजिल तुम्ही हो मेरा सफर।
बहुत गुजर गई है जिंदगी ए सनम तुम्हारे बिना।
आ भी जा ले मुझे पनाहों में मेरी बाहों में बसर कर।