तुम्हारी वो
तुम्हारी वो


आवश्यकता है तो बस
चुप्पी के भीतर के शोर
को महसूस करने की
वरना तो जिंदा वो भी है
जिंदा तुम भी हो
पर क्या जी पा रहे हो
पहले सी वो खिलखिलाती नहीं
उड़ती, दौड़ती भागती नहीं
बस दोस्त से बीवी ही तो बनी है
पर क्यों अब वो कुछ नहीं कह
चुप्पी साध जाती है
झगड़ों से परे मुस्कुरा बात टाल जाती है
उस के मन के शोर को बस इक तुम
समझोगे टटोलोगे और संभालोगे
उठाओ कदम और बना लो दोस्त उसे
क्यूं हंसती मुस्कुराती गुनगुनाती ही तो
अच्छी लगा करती तुमको , फ़िदा थे तुम
लौटा लाओ उसको अपने लिए
संवार लो जीवन उसकी चुप्पी को खतम कर
जी जाओ दोनों, हाथों को ले हाथ में
खो जाओ दोनों अपने संसार में।