तुम्हारी अंखियों का जादू
तुम्हारी अंखियों का जादू
हमको बेकरार करे है तुम्हारी अंखियों का जादू,
घनी जुल्फों का जादू,तुम्हारी रतियों का जादू,
नित खींचा चला जाता हूं मैं इनकी गहराई में तो,
सिन्धु अपार लगे हैं,तुम्हारी अंखियों का जादू।
मुस्कुराती हैं जब खो जाता मैं इन के चेहरे में,
हरियाली सी लगे, घुल जाता मैं इन रंग हरे में,
देख इनकी हिरनी चितवन को खो सुध अपनी,
समझ मृग तृष्णा दौड़े ज्यों मौसम धूल भरे में।
करती चुप के अद्भुत इनकी बतियों का जादू,
कान्हा स्तब्ध देख प्रेम इन गोपियों का जादू,
भूल गई धुन सारी अपनी कान्हा की मुरली,
जब से सुना है तुम्हारी अंखियों का जादू।