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Sheel Nigam

Romance

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Sheel Nigam

Romance

तुम्हारे जन्मदिन पर...

तुम्हारे जन्मदिन पर...

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क्या उपहार दूँ ?

तुम्हें, तुम्हारे जन्मदिन पर,

उषा की प्रथम किरण का हास ?


ये नश्वर शरीर, मन प्राण ?

न्यौछावर कर दूँ ?

क्या उपहार दूँ ?

तुम्हें तुम्हारे जन्मदिन पर


यह शरीर तो

जल कर राख हो जायेगा इक दिन

और फिर, समर्पण के बाद नहीं है,


इस पर अधिकार मेरा

पर, इसमें बसी आत्मा

अजर है, अमर है

वही दे दूँ ?


यही प्रश्न लिए बैठी हूँ मैं,

उषा की अंतिम किरण भी

अलसा रही है सोने को


तुम्हें कुछ दे पाने की आशा में,

अपनी खाली झोली टटोलने पर,

भावनाओं की नींद खुल जाती है।


और मैं,

स्वयं समर्पित हो जाती हूँ तुम पर,

तुम्हारे जन्मदिन पर।


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