तुम्हारा यहाँ न होना है
तुम्हारा यहाँ न होना है
आज क्या लिखूं सोच नहीं पा रहा मैं
कुछ भी नया नहीं बचा अब कहने को
तुम्हारे लिए मैं बस एक इंसान हूँ
मेरे लिए पूरी की पूरी एक नई दुनिया बन चुकी हो
तुम्हारे लिए कुछ भी कहना अब मुश्किल लगता है
डर भी लगता है और एक चिंता भी बनी रहती है
जाने तुम क्या सोचने लगो मेरे बारे में
मगर कहना भी ज़रूरी होता है क्योंकि
खुद में कई बातें छुपा नहीं सकता
आजकल जब भी तुम्हारी गली के पास से गुज़रता हूँ
सोचने लगता हूँ ये जगह इतनी वीरान कैसे हो गयी
किसी बंद दुकान के आगे कुछ लोग अलाव तापते दिखते है
या किसी सुनसान सी सड़क पे दौड़ते हुए बच्चे मिल जाते है
इसका कारण शायद ठंड लगेगा तुम को
मगर असली कारण तुम्हारा यहाँ न होना है
तुम को मेरे नज़रे हर उस जगह पे ढूंढती है
जहां हम रोज़ मिलते थे तुम्हारे जाने से पहले
वो कॉफ़ी की दुकान को बस बाहर से ही देखता हूँ
जहाँ हम घंटो बैठ जाते थे
जब भी निकलता हूँ उन रास्तों पे बस
तुम्हारे बारे में सोचने लगता हूँ
तुम्हारा मुझपे विश्वास करना दिल को सुकून देता है
इस बात की तसल्ली भी रहती है
चाहे जो हो तुम मेरे साथ कुछ बुरा नहीं होने दोगी