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तुम

तुम

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मुक्तसर सी इस जिंदगी में,

बहारों का काफिला ले आए तुम,


फूलों से खौफ खाते थे हम,

काँटों से इश्क करना सीखा गए तुम,


अकेली राहों में रफ्तार थी प्यारी,

रहनुमा बनकर धीमे पांव चलना सीखा गए तुम,

गर्दिश में मौजूद हज़ारों सितारों में,

चांद सा मर्कज बन गए तुम,


बड़प्पन से थे वाकिफ,

मासूमियत सीखा गए तुम,

पलटकर ना देखा था जिसे किसी ने,

तवज्जो की बरसात में उसे भीगो गए तुम । ।


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