तुम सुन रही हो ना
तुम सुन रही हो ना
आँखें बताती हैं दिल में नहीं है कोई हलचल
खामोशियाँ कह रही है कुछ बात तो ज़रूर है
तूफ़ान बुझा के गुजर गया दीया उसके घर का
उजाला छीना तो क्या अँधेरी रात तो ज़रूर है
दिल की ये बात तुम सुन रही हो ना
नीले आसमान में चाँद तारे भी गुनगुना रहे हैं
बिन चाँदनी के कोई सुहानी रात बनती नहीं है
आषाढ़ में मोती बनकर गिरती रिमझिम बूँदें
पास ग़र तुम नहीं तो कोई बात बनती नहीं है
दिल की ये बात तुम सुन रही हो ना
मुमकिन है तुमको कोई और मिल गया होगा
यहाँ मौसम को आज भी सिर्फ़ तुम्हारा इंतज़ार है
रूठ कर चली गयी तो मनाने वाला मनाता कैसे
जिस रंग में कहो ढल जायेंगे हमको कब इनकार है
दिल की ये बात तुम सुन रही हो ना
चांदनी रात में जब चाँद कभी मुस्कुराता होगा
याद करो चुपके-चुपके याद हमारी आती होगी
अनमने दर्द जब कभी पूछते होंगे हाल हमारा
आँखों की नींद भी सोने बाद उसके जाती होगी
दिल की ये बात तुम सुन रही हो ना
पहली मुलाक़ात के गहरे जख्मों को कुरेदकर
आँखों में आज जैसे याद तुम्हारी उभर आयी हो
कहीं ऐसा तो नहीं कि काँटों का ताज पहनकर
दिल की खिड़की तोड़कर रूह में उतर आयी हो
दिल की ये बात तुम सुन रही हो ना

