तुम मेरे हो
तुम मेरे हो
दो चार पल तो बैठो करे प्यार की बातें
दिल खोल कर सुनाए दिल-ए-बीमार की बातें
दो दिल मिले फूल फलें गुलज़ार के जैसे
तुमको तो लगे ये सब शायद बेकार की बातें
तुम मेरे हो अब तन्हाई में कटती नहीं ये रातें
समझो ना इसे मनगढ़ंत किरदार की बातें
इस मेल में जीतेंगे अपने दिल को हार के
तब मुझसे करना जीत और हार की बातें
इस प्यार के व्यापार में अधिकार को क्या काम
फकत सजे हुए दर-ओ-दीवार की बातें।