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Ravinder Raghav

Romance

4.5  

Ravinder Raghav

Romance

तुम को देखा था पड़ोसी की बारात में

तुम को देखा था पड़ोसी की बारात में

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तुम को देखा था पड़ोसी की बारात में

और देख के देखता ही रह गया, 


सोचा तुम्हें मेनका कहूं या उर्वशी

ये सोच के सोचता ही रह गया, 


नज़र मिला कर फिर तुमसे 

नज़र मिला के नज़रों में ही रह गया, 


नज़र मिला के तुमने प्रेम दीप जला लिया

प्रेम दीप जला के जलाता ही रह गया, 


गलियों में मिलकर तुमसे

तेरी गलियों में ही रह गया, 


सपनों में मिलकर तुमसे

तेरे सपनों में ही रह गया, 


अंत में तुम को देखा दुल्हन के लिबास में

और देख के देखता ही रह गया।


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