तुम ख़ुद जागो पहले
तुम ख़ुद जागो पहले
तुम ख़ुद जागो पहले दूसरों को क्या जगाते हो
जिंदगी कोई दौड़ नहीं
संघर्ष है बहुत कुछ सीख जाने का
कोई टूट गया हो भीतर से
तो ये वक़्त है साथ निभाने का
मैं दोस्त ही हूँ कोई दुश्मन नहीं
मेरी काबिलियत से क्यूँ चीड़ जाते हो
अरे तुम ख़ुद जागो पहले दूसरों को क्या जगाते हो
वक़्त कहीं मोहताज़ नहीं
आज तेरा है कल मेरा है
मुँह पर मीठी शक्कर हो तुम
और दिलों पर साजिशों का पहरा है
न हार हुई न जीत हुई
तुम फ़िजूल ही मुझें आज़माते हो
अरे तुम ख़ुद जागो पहले दूसरों को क्या जगाते हो
माना कि मैं निराश हूँ
देखों फिर भी मन में आशा है
न जीत सका है अबतक कोई सत्य से
मुझें तो केवल सीखने की जिज्ञासा है
मुझें गिराने की ख़ातिर तुम ख़ुद को ही गिराते हो
राई भर की बात को पहाड़ जितना कर जाते हो
अरे तुम ख़ुद जागो पहले दूसरों को क्या जगाते हो।