Rajiv Jiya Kumar

Abstract Romance

4.5  

Rajiv Jiya Kumar

Abstract Romance

तुम जिंदगी।

तुम जिंदगी।

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पल भर की दूरी तुमसे जानम 

सरगोशी यह कर गई

हर खुशी तुमसे 

होंठों पर सजी हर हँसी तुमसे

चैन बस तुमसे

हसीन ख्वाब वाले नींद तुमसे,

कुनबे में अपने तुम संग हो तो

बस जन्नत सजा है,

तुमसे जिंदगी को जिंदगी मिला है।।

यह दूरी न भाए 

कहना तो चाहूँ 

यह बड़ा सताए 

पर बेबस तो शक्ति तुझसे 

जटिलता तो युक्ति तुमसे,

सच कहता हूँ

मुक्ति हर वेदना से इस काया की तुमसे,

आँचल में सजन तेरे 

मेरे हर मन्नत का दीप जला है 

तुमसे जिंदगी को जिंदगी मिला है।।

सफर सहज बना रहा तुम संग चले

हाथ मेरा फिर तेरे हाथों में हो

शाम जब यह ढले, शाम जब यह ढले।।

    


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