तुम जाना नहीं
तुम जाना नहीं
सुबह हुई है आ जाओ अब,
शाम ढले तुम जाना नहीं।
दिल से पुकारता हूँ मैं तुमको अब,
दिल तोड़ के तुम जाना नहीं।...
बसंत महक रही है इश्क की आज,
तुम से मिलन करना चाहता हूँ।
तड़प मिलन की मिटानी है अब
मिलन अधूरा छोड़ जाना नहीं।...
तुम आओ तो महफ़िल सजाऊँ,
मयखाने में मैं शोर मचाऊँ।
जाम का कटोरा भर के आओ अब,
मुझे पिलायें बिना जाना नहीं।....
गज़ल लिखी मैंने तुम्हारे हुस्न की,
तुम आओ तो मुझे गानी है।
गज़ल इश्क के राग से रची है अब,
सुने बिना तुम जाना नहीं।....
मैं हूँ दीवाना तुम्हारे इश्क का,
तुम को दिल से चाहता हूँ।
"मुरली" बन जाओ मेरी मल्लिका अब,
मुझे छोड़कर तुम जाना नहीं।...

