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Deepa Saini

Tragedy

4  

Deepa Saini

Tragedy

तुम ही हो वंदना के अमित

तुम ही हो वंदना के अमित

3 mins
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यह तो प्यार नहीं है

आज 38 साल की हो चुकी हूं और तुम नहीं हो पास में हर चीज अधूरी तुम्हारे बिना कुछ अच्छा नहीं लगता जमाने को क्या बताऊं कि क्या तुम इस दुनिया में नहीं हो और ऐसा लगता भी नहीं है कि तुम नहीं हो क्योंकि तुम तो हर वक्त मेरे पास मैं तुम्हें कैसे भूल जाऊं मैं किस सोसाइटी में रहती हूं वहां सब जानते हैं कि आप किसी काम से बाहर रहते हैं और हम से मिलने कभी-कभी आते हैं इस तरीके से मैंने तुम्हें सबके बीच जीवित रखा है, क्योंकि तुम मेरी आत्मा में मेरे हर काम में मेरे हर सपने में तुम जीवित हो तुम दुनिया के सबसे खूबसूरत पति थे तुमसे ज्यादा प्यार करने वाला मुझे कोई मिल ही नहीं सकता अमित


मिले थे तुम तो सब ने कहा था खुशनसीब हूं मैं l

मैंने भी तुम्हें जी भर चाहा था पर कुछ पल के लिए तो क्या बदनसीब हूं मैंl

ना जाने कौन सी डुबाया थे ना जाने सी रुबाइयां थे न जाने कौन सी खुमारियां थीl

लोग ऊंचे घराने देखते हैं मैंने तुम्हारे ऊंचाई देखी,

बहारों में सावन आया था जब आपने नजरें झुका कर इबादत की तरह एक वंदना देखी 

गहरे सन्नाटे की रातों मैंने तो तुम्हारी पूजा करके देखी l

खिलते कलियों की पंखुड़ियों में तुम्हारी निगाहों की अदा एक देखीl

अमित बन कर बैठ गए तुम अमित पर मैंने तुम्हें एक वफा देखी l


जानते हो मैंने आपको उड़ती पतंग में जिंदा रखा

लुटती गई वह पता जिस की डोर तुमने मेरे हाथों में दे कर देखीl

हारी नहीं मैं जमाने से खुशनुमा हो कर मैंने अपने हौसलों को बुलंद रखा,

बहारों का मौसम पतझड़ में बदले जिनकी तुमने मुझे शहजादी बनाकर रखा थाl

महारानी मैं क्योंकि मचल मचल कर चलती थी, तुमने ऐसा बना कर रखा थाl

मेरे छुटपुट शरारत में तो मैं खुद को नादान परिंदा बनाकर रखा।

प्रिय तुम बता कर तो जाते मैंने तो आपको और आपकी प्रियांशी पर भरोसा रखा।

तुम कहते रहे मैं सुनती रही कहाँ वह कहावतें गई जिनके सहारे मैंने तुम्हें जिंदा रखा।

माथे की बिंदिया तो ऐसे चमकते हैं जैसे मैंने तुम्हें अपना सरताज बना कर रखा।


प्रियतम मेरे हर बात में तुम मेरी हर सांस में तुम मेरी सखियां कहती हैं कि

मैंने आपको हर घड़ी अपनी धड़कन में जिंदा बनाकर रखाl

और इस जमाने के सितम तो देखो की तेरे अपनों ने मुझे पराया बना कर रखा।

दिखाकर हर चला कि मुझे खुद को मासूम बनाकर रखा।

चले गए तुम इस दुनिया से यकीन नहीं हुआ क्योंकि मैंने तुम्हें अपने दिल में जिंदा रखा।

तुम नहीं मिलते अब तो सब कहते हैं कि तुम्हारी कितनी मुरीद हूं अब कहते हैंl

पर क्या बताऊं तुम्हारे जलाए चरागों को हथेली पर सजा कर रखा

और अब सब कहते हैं की खूबसूरती प्यार की हो या वंदना की

बहुत-बहुत तुम्हारे करीब हूं सब कहते हैंl

इसीलिए तो मैंने तुम्हें ख्वाबों में जिंदा रखा lI



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