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Rekha Bora

Romance

3  

Rekha Bora

Romance

तुम बिन मेरे जीवनसाथी

तुम बिन मेरे जीवनसाथी

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तुम बिन मेरे जीवनसाथी

जीवन का संगीत अधूरा

मैं निर्झर बहता झरना थी

टकराकर सख़्त चट्टानों से

जब तुमसे मिलने आती थी

तुम बाँह पसारे खड़े रहे


फिर हम दोनों मिल जाते थे

इक कोमल सा अहसास लिए

फिर तुम जाने कहाँ गये

और एक उदासी छोड़ गये

अब गीत अधूरा, साज़ अधूरा


तुम बिन मेरे जीवनसाथी

जीवन का संगीत अधूरा

तुम सागर थे मैं एक नदी

मैं तुझमें आन समाती थी

पर मेरे मीठे पानी को तुम


पल में खारा कर देते थे

फिर कितने निष्ठुर बनकर तुम

मुझे पटक किनारे देते थे

अब बोल रही उस नदिया की

रोती लहरें सिर धुन-धुन कर


सागर तेरा प्यार अधूरा

तुम बिन मेरे जीवनसाथी

जीवन का संगीत अधूरा

रोती रहती हूँ मैं निशदिन

रातें काटी तारे गिन-गिन


तुम क्या जानो वो चाँद रात

कैसे अमावस में बदल गयी

उस चाँद से उजले मुखड़े को

है वियोग ग्रहण ने घेर लिया

न धड़कन हैं न साँसे हैं


चलती फिरती इक लाश हूँ मैं

है चैन अधूरा, ख़्वाब अधूरा

तुम बिन मेरे जीवनसाथी

जीवन का संगीत अधूरा।


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