तुम और मैं
तुम और मैं
तुम "संयम" सा प्रवाहमान, मेरी नस-नस में
तुम "मौन" सा विधमान, मन मस्तिष्क में
मैं जीवन पथ की अविरल धारा कंटक वन में
मैं निर्झर सा सूखा मन, तुम बरसे मन में ....
तुम "संयम" सा प्रवाहमान, मेरी नस-नस में
तुम "मौन" सा विधमान, मन मस्तिष्क में
मैं जीवन पथ की अविरल धारा कंटक वन में
मैं निर्झर सा सूखा मन, तुम बरसे मन में ....