तुझको समेट लेती हूं
तुझको समेट लेती हूं
इस तरह हम सुकून को महफूज़ कर लेते हैं,
जब भी तन्हा होते हैं तुम्हें महसूस कर लेते हैं।
खुद में तुझको समेट लेती हूं,
तू ना सही ,तेरी मौजूदगी महसूस कर लेती हूं
चहक उठती हूं तेरा नाम लेकर,
महक उठते हैं हर जज़्बात मेरे,
जो तुझी से शुरू तुझी पर खत्म।
है ये सांसें अब तेरी अमानत,
हर बार तेरी मौजूदगी के नाम से ही
बेताब हो उठती है,
ना रोके से रूके है ये मन मेरा बावरा
हर आहट पर लगे जैसे तुम आये।
मेरा दिल अब तुम्हारे पास है
मेरा चैन मुझे अपनी एक झलक दिखला के लौटा दो।
घड़ी भर ही सही इस बेकरार दिल को करार तो आये।