तुझे पाने की उम्मीद
तुझे पाने की उम्मीद
आज मैंने खुद को तेरी आँखों में हारते देखा है,
कह दो एक बार ये सच नहीं धोखा है,
हर इश्क़ को मंज़िल मुकम्मल हो ज़रुरी तो नहीं,
टूटके उसे चाहते रहेंगे, वो भी चाहे जरूरी तो नहीं,
इतने आँसू छुपे हैं मेरी आँखों में,
हर घाव का मरहम हो ज़रुरी तो नहीं,
तेरा वो बेपनाह प्यार किसी और के लिए, सहा नहीं जाता,
हमें तुमसे कितनी मुहब्बत है, कहा नहीं जाता,
क़ाश के कर पाता मैं खुद को एक बार बयां ,
या तो तेरे दिल तक जाने का रास्ता नज़र आता,
क्यूँ मेरी उल्फ़त में प्यार नसीब नहीं,
या हम उनके दिल के करीब नहीं,
परवाह नहीं अब हमें दुनिया की,
उनकी यादों की दौलत है, हम भी अब ग़रीब नहीं।
आज भी तेरे प्यार की उम्मीद में जी रहें हैं,
बस ये ज़िन्दगी ही तुझसे मिलने का मौका है,
आज मैंने खुद को तेरी आँखों में हारते देखा है,
कह दो एक बार ये सच नहीं धोखा हैl