टूटी कश्ती को किनारा कौन देगा
टूटी कश्ती को किनारा कौन देगा
टूटी कश्ती को किनारा कौन देगा
बे-सहारों को सहारा कौन देगा
ख़त्म हो जिसकी कहानी इस जहाँ में
ऐसे इंसाँ को इजारा कौन देगा
तू दुआ कर या दवा कर चाहे जो कर
इस शराबी को उतारा कौन देगा
अब तक यहाँ जो हुआ है साथ मेरे
ख़बर उस की अब ख़ुदारा कौन देगा
पूछ लेता हाल अपना मैं किसी से
सोचता हूँ अब बहारा कौन देगा।