टूटा शीशा
टूटा शीशा
वो कहते है,
टूटा शीशा और टूटा इंसा
कभी जुट नहीं सकता
बेकार हो जाता है।
लेकिन मैं कहती हूं
जरा नज़रिया बदल के
तो देखो
टूटा शीशा ही ज्यादा चमकता है।
एक बार और देखो,
कहीं वो टूटा शीशा
तुम्हारी असलियत
बतला रहा हो।
टूटने के बाद शीशा
और
ख़तरनाक हो जाता
है।
तुम छू,
कर तो देखो
वो खून
चख कर ही मानता है।
ना टूटे शीशे से कभी बैर करना,
ना टूटे इंसा से
अंजाम बड़ा
ख़तरनाक हो जाता है।