ca. Ratan Kumar Agarwala

Tragedy Inspirational

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ca. Ratan Kumar Agarwala

Tragedy Inspirational

टुकड़ों के क्या कोई हालात.....

टुकड़ों के क्या कोई हालात.....

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आज जो टूट कर बिखरे पड़े हैं,

कुछ दिन पहले ये भी तो जुड़े ही होंगे,

टुकड़ों के क्या कोई हालात जानेगा,

कभी ये भी तो मुकम्मल रहे होंगे।


आज वक़्त ने जिसे सड़कों पर ला दिया,

वह भी कभी अमीर रहा होगा,

कुछ भी तो पहले जैसा नहीं रहता,

आज कुछ, कल कुछ और रहा होगा।

 

क्या देख रहे हो काँच के उन टुकड़ों को,

वह भी कभी आईना रहा होगा,

क्या देख रहे हो उन जीर्ण खंडहरों को,

वहाँ भी कभी महल खड़ा होगा।


क्या निहारते हो उन बारिश की बूंदों को,

कभी बादल भी तो बना होगा,

क्या देखते हो लकड़ी के टुकड़ों को,

कभी वहाँ विशाल दरख़्त रहा होगा।

 

यही तो है संसार का सतत नियम, परिवर्तन,

परिवर्तन, परिवर्तन, परिवर्तन,

नहीं है कुछ भी कभी स्थिर यहाँ पर,

हर चीज का होता रहता अभिवर्तन।


कल था वह राजा, राजमहल में रहता था,

आज रंक भिखारी बन कहलाये,

न गुमान करो अपनी किसी भी बात का,

जाने कब क्या कुछ बदल जाए?

 

न समझो कभी भी किसी को छोटा,

हो सकता है वह कल बड़ा बहुत था,

किस का भाग्य किस करवट ले, 

जाने किसके भाग्य में क्या लिखा था ?


मत करो किसी के वर्तमान का अपमान,

कौन जाने तेरा कल क्या होगा,

जो लिखा है तेरे दुर्भाग्य में,

जान लो कल को तेरा भी वही हाल होगा।

 

विशाल भू खण्डों से घिरा था टेथिस सागर,

आज खड़ा है वहाँ हिमालय,

कल जहाँ खड़े थे विशाल स्थल खंड,

आज भरे पड़े वहाँ विशाल जलाशय।


न मारो राह पर पड़े पत्थर को,

वह भी किसी पहाड़ का हिस्सा रहा होगा,

न करो अपमानित किसी गरीब को,

कल वह भी महलों में रहता होगा।

 

सांसारिकता का हैं यही तो नियम,

हर पल करती रहती है यह अभिवर्तन,

संसार का सतत नियम ही परिवर्तन,

परिवर्तन, परिवर्तन, और परिवर्तन।


वक़्त के साथ देशों की सीमाएं बदल जाती,

सत्ता के गलियारे बदल जाते,

जिन्दगी के सारे तौर तरीके बदल जाते, 

और मन के विचार बदल जाते।

 

पैसों से कोई बड़ा नहीं होता,

पैसा ही तो जीवन में सब कुछ नहीं होता,

न उड़ाओ कमजोर की कमजोरी का मज़ाक,

कभी वह भी वीर रहा होगा।


आज हँस रहे हो औरो पर तुम,

कभी कल कोई तुम पर भी हँसता होगा,

न उड़ो ख्वाबों के बादलों पर इतना,

जाने कब जिन्दगी बदल ले ये चोगा।


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