ठंडी सी शाम
ठंडी सी शाम
भीगी सी रात है,
ठंडी की शाम है,
जो सुर - सुर चल रही हवा है,
वो न जाने
कानों में क्या
कह जा रही है?
मानो किसी की,
याद दिला रही हैं!
या फिर किसी,
अनजाने चीज का,
संदेश दे जा रही हैं।
मदहोश हुआ मन मेरा,
जाग गई आत्मा मेरी
क्या आज मुझे फिर,
अच्छी लगने लगी शाम कही?
यह ठंड की ढलती शाम,
मेरे जीवन की नई,
सुबह बन गई।
