प्यार की कश्ती
प्यार की कश्ती
जब मिले थे तुम कितने खुश थे हम,
तेरी एक नज़र को देखने को तरसते थे हम,
बस एक बार तुझे देख लूं तो सुकून आ जाए,
तेरी मोहब्बत में ऐसे पागल हो गए थे हम,
हर रोज़ बातें करने को ये दिल तरसता था,
तुझ से मिलने को ये दिल करता था,
जिस दिन तू न दिखे, ऐसा क्यों हुआ दिल सवाल करता था,
तुझे कुछ हो जाए तो मेरी आंखें नम हो जाया करती थीं,
तुझे शिफा मिल जाए हर रोज दुआएं मैं करती थी।।

