वो कृष्ण है!
वो कृष्ण है!
वो जो मेरा प्राण है
वो जो मेरे दिल में है
वो जो मेरा धर्म है
जो इस संसार का रचयिता है
वो जो मेरे मन में है
वो जिसने संभाला मुझे हर शन्न है
वो जो समझता मेरी हर पुकार है
जो करता अपने मन की है पर होता मेरे हित में है
जो बसा हर कण में है
जो हर शं सबके करीब है
अरे वो जो इस संसार का नींव है
जो अपनी चंचलता से जित्ता सबका मन है
जो रखता हर जन्म की खबर है
जो अपने भक्तों की करता मदद है
जो आरंभ भी है, और अंत भी
जो न्याय की स्थापना करता है हर युग में है
न्योछावर करता अपना सब कुछ जो होता उसके करीब है
जो शरारत करता जब होता अपने बाल स्वरूप में है
जो लेता परीक्षा हर वक्त में है
जो सबको समझता अपना ही मित्र है
दिल से लगाने के लिए जो रहता तत्पर है
जो मुरली की धुन से करता सबको मोहन है
जो बोलता मधुर स्वर में है
जो उलझाता सबको अपनी क्रिया में है
जो पहनता पीताम्बर है
जो सजता मोती और स्वर्ण से है
वो जो माथे पर धारण करता मोर पंख है
जो रखता सजंता का व्यक्तित्व है
अरे वो जो खुद ही प्यार का प्रतीक है
अरे वो जिससे मेरा जीवन है
नमन है उसको जिससे मेरी जीने की आस है
जिसका नाम मेरे हर सांस में है
जिसे शुरू होता मेरा हर करम है
