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Shubhi Jhuria

Tragedy

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Shubhi Jhuria

Tragedy

क्या ये आज़ादी है??

क्या ये आज़ादी है??

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क्या यह आज़ादी है?

इस आज़ाद भारत के 

क्या सच में हम 

आज़ाद नागरिक है

या फिर आज़ादी ने अब 

अपनी सरद्द खिचके 

सिर्फ लड़को को ही

अपना माना है

क्या रात में अब 

पूरे कपड़े पहने

के बाद काम पर 

जाना भी अब गुना है

क्या सरकार से छोटी सी

उम्मीद करना भी गलती है

या यह विश्वास करना

की अच्छाई अभ भी थोड़ी बची है

क्या आज़ादी का यह दिन

सिर्फ झंडा फहराने के लिए है

और जो इस झंडे को छूते हैं 

क्या वो इस लायक भी है 

रात में लड़कियों को बाहर

घूमने नहीं देना

काम पर जाने से 

मना करना क्या 

यह उपहार है इस 78वें

स्वंत्रंता दिवस का हमारे लिए 

क्या यही आज़ादी है 

जिसके लिए शायद कभी

लड़किया भी शहीद हुई थी 

चलो मान लिया की

रात में बाहर जाना गुना है

पर सवाल है की किन लोगो 

के लिए यह कानून है

क्या खोट नही लगता आपलोगो को

उन गंदे लोगो की सोच में 

सिर्फ कुछ लोगो के कारण 

आज पूरा पुरूष समाज 

भी बदनाम है

यह भारत कभी आज़ाद 

न था, और न है

क्युकी कुछ गिरी हुई

सोच ने जकड़ रखा है

उस नन्ही सी चिड़िया को

जो अभी भी अंधकार में है।


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