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Shubhi Jhuria

Tragedy

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Shubhi Jhuria

Tragedy

वो बीते दिन

वो बीते दिन

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क्या थे वो दिन

जो हमने थे गुजारे,

वो खुले आसमान

कहां खो गए।

वो नादान हम बच्चे,

कब बड़े हो गए।

वो दोस्त सच्चे,

अब कहां बिखर गए।

हम जो थे सबसे आगे,

अब कहां छूट गए।

बड़े होने की रेस में,

कब बच्चे बनना भूल गए।

खुद कभी नखरे करते,

अब कहां दूसरो के नखरे,

झेलने लग गए।

वो छोटी सी दुनिया को

कब बड़ी बनाने में,

खुद ही दुनियादारी भूल गए।

हम हस्ते - खेलते बच्चे,

कब टेंशन से भर गए।

यार इतना बड़ा कहां ं 

होना था मुझे,

की जिंदगी, जिंदगी न लगे।।


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