श्याम मिलन की तड़प
श्याम मिलन की तड़प
गरज़ गरज़ कर मेहा बरसत,
श्याम मिलन को जियरा तड़पत।
शितल समिर बहोत शोर मचावत,
अंग अंग में मोहे अगन लगावत,
दामिनी लबक ज़बक कर चमकत,
श्याम मिलन को जियरा तड़पत।...
कुहूं कुहूं मीठी कोयलीया बोलत,
श्याम की याद में ज़ियरा डोलत,
छाई घटा घनघोर मन डरपत,
श्याम मिलन को जियरा तड़पत।...
कुंज़ गली में मोर त् त् थै नाचत,
पपिहा पीयू पीयू पुकार सुनावत ,
चातक की तरह मेरा मन तरसत,
श्याम मिलन को जियरा तड़पत।...
"मुरली" मधुर नाद कानों में आवत,
मीठी मीठी तानों से मुझ को बुलावत,
हर पल मुझ को बाँवरी बनावत,
श्याम मिलन को जियरा तड़पत।...