इश्क
इश्क
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फिर वही बारिश कि फिर वही बात हों,
तेरे मेरे मिलने की शुरू वो दास्तान हो,
जिक्र हर बार तेरा महफिलों में होता है,
तू शामिल मेरी हर बातों में हर बार होता है,
कि फिर वही बात हो ............
अब बढ़ चला था मोहब्बत का फरमान भी,
जिसमें लिखा हो तेरा मेरा नाम कहीं ,
शुरू हो गई फिर नाकामे इश्क का इंतजार वहीं,
की फिर शुरू हो गई वो दास्तान कही,
कही फूलों को निहारूं कही चांद को ताकूँ ,
तू भी कहता यूं ही कभी मुझसे ,
की कसम है मुझे मोहब्बत कि हमारी,
कोई कभी किसी से जुदा न होए,
चांद भी तेरे हवाले ये जहां भी तेरे हवाले,
इश्क हो हर किसी को ए मोहब्बत करने वाले।