कशिश
कशिश
गुजारे होंगे कई दिन तुमने,
औरों के साथ।
जो काट न सकोगे वो इक रात मैं हूँ।।
गुफ्तगू बहुत की होगी तुमने,
कई दफा लोगों से।
पर दिल पे जो लगेगी वो इक बात मैं हूँ।।
थक जाओगे भीड़ में तुम जब,
चलते-चलते अकेले।
सुकून का एहसास करा दे वो साथ मैं हूँ।।
बिताये होंगे हंसीं पल तुमने,
सब के साथ।
जो भूला ना सकोगे वो इक याद मैं हूँ।।