ठहराव
ठहराव
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ज़िदगी में ठहराव ज़रूरी है,पर इतना भी नहीं,
कि हम चल भी न सकें,
समंदर में गहराव ज़रूरी है, पर इतना भी नहीं,
कि लहरें उछल भी न सकें,
हर बात का अपना अलग ही महत्व है,
यही सिखा रही है प्रकृति कि 'अति' करना कितना गलत है,
किसी भी चीज की अति अच्छी नहीं होती,
आवश्यकता से अधिक गति अच्छी नहीं होती,
गति और ठहराव दोनों एक दूसरे के पूरक हैं,
समन्वय का यह भाव ही संपूर्ण सृष्टि की ज़रूरत है।