STORYMIRROR

Dr.Shilpi Srivastava

Abstract

4  

Dr.Shilpi Srivastava

Abstract

ठहराव

ठहराव

1 min
628

ज़िदगी में ठहराव ज़रूरी है,पर इतना भी नहीं,

कि हम चल भी न सकें, 


समंदर में गहराव ज़रूरी है, पर इतना भी नहीं,

कि लहरें उछल भी न सकें, 


हर बात का अपना अलग ही महत्व है,

यही सिखा रही है प्रकृति कि 'अति' करना कितना गलत है,


किसी भी चीज की अति अच्छी नहीं होती,

आवश्यकता से अधिक गति अच्छी नहीं होती,


गति और ठहराव दोनों एक दूसरे के पूरक हैं,

समन्वय का यह भाव ही संपूर्ण सृष्टि की ज़रूरत है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract