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Anu Mishra

Tragedy

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Anu Mishra

Tragedy

तन्हाई

तन्हाई

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गुमसुम सी यूँ रहती हूँ

पल पल खुद से कहती हूँ

तन्हाई का ये आलम है

ख़ामोशी में बहती हूँ

यहाँँ - वहाँ , जहाँ भी देखूं

मालूूूम  सभी का  होता है

सबके होते हुए भी 

यह एहसास कहाँ पे होता है

लगता है  हर चीज़ है मेरी

फिर भी  झोली खाली  है

साथ सभी का पाकर भी

न कोई हमजोली है

जब घर के किसी कोने  में

मै अकेली होती हूँ

इस अकेलेेपन  को मै

अपनी सहेली  कहती हूँ!

यह अकेलापन क़्यूं 

खलता है सबको

काले नाग जैैसा 

डसता है सबको

हर ख्व्वाब  देखूं 

इस तन्हाई में

हर बात को सोचूँ

इस तन्हाई में

कभी -कभी यह तन्हाई

खलती है   मुंझको भी

काँटों से कोमल तन पे

चुभन सी होती है मुंझको

पर फिर भी गम का 

साथी है तन्हाई

हर जख्म की  दवा है तन्हाई

जब कोई न हो पास 

यूँ  लगता है की यही 

सब कुछ है तन्हाई!


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