अनजाने सपने
अनजाने सपने
जो देखें थे कभी बंद आँखों से
पलकों के आशियााने में,
बड़े मासूम से
वो सपने!
वो सपने बड़े अनजाने से
जी लेते सारी ज़िंदगी को
पल भर में
पल भर मेंं !
बटोर लेते सारी खुशियों को
मिट्टी के पैमनो में
बड़े मासूम से
वो सपने !
वो सपने बड़े अनजाने से।
आज खुली आँखों से भी नहीं दिखते
न दिखते हैं किसी रौशनी के
गलियरे में
बड़े मासूम से !
वो सपने
वो सपने बड़े अनजाने से !