गलियरे में.... बड़े मासूम से ! वो सपने.... वो सपने बड़े अनजाने से ! गलियरे में.... बड़े मासूम से ! वो सपने.... वो सपने बड़े अनजाने से !
सूख रहे सरिता सर पोखर, सागर में जल जाए, नग्न हुए गिरि-श्रंग, सिमटते हरित वनों के साए । सूख रहे सरिता सर पोखर, सागर में जल जाए, नग्न हुए गिरि-श्रंग, सिमटते हरित वनो...