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Anu Mishra

Inspirational

4  

Anu Mishra

Inspirational

बेटी

बेटी

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सुनो - सुनो ऐ! सुनने वालों

क्यूँ अनजाने बनते हो

गर्भ में ही मार मुझे

खुद चैन से जीना जानते हो

बेटी हूँ तो क्या हुआ

मैं कोई अभिशाप नहीं

घर को रौशन करती हूँ

फिर भी मैं वरदान नहीं


बेटा, बेटा करते हो

और बेटी से क्यूँ डरते हो

बस बेटी लक्ष्मी कह कर

एक दिखावा करते हो

सबको मिलती खुली आजादी

और बेटी को चार दीवारी

सब करें अपनी मनमानी

बेटी बेचारी लाज की मारी

बन्द करो!

बन्द करो!


अत्याचार बेटियों पर

विश्वास और सम्मान की

वर्षा करो इन बेटियों पर

बेटी तो सुन्दरता का वरदान

यही तो जीने का आधार

जीवन को निखारती है

इस संसार को श्रृृंगारती है

क्या कभी सोचा है

या सोचना चाहोगे?

यदि बेटी नहीं अपनाओगे

तो.......

बेटा कहां से पाओगे?  

बेटा कहां से पाओगे?  


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