तन्हा तो बरसों था पर!
तन्हा तो बरसों था पर!


जवां महफ़िल थी और कोई,
हम-साया ना था
तन्हा तो बरसों था,
पर यूँ किसी ने रुलाया ना था।
अदावतें तो बहुत देखी
राह-ए-ज़िन्दगी में मगर,
खामोशियों से यूँ कभी
किसी ने सताया ना था।
मुश्किल होगी राह-ए-मोहब्ब्त,
पता था हमें,
दर-ब-दर भटकना पड़ेगा,
किसी ने बताया ना था।