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Avinash Kumar Barnwal

Romance

3  

Avinash Kumar Barnwal

Romance

तन्हा तो बरसों था पर!

तन्हा तो बरसों था पर!

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जवां महफ़िल थी और कोई,

हम-साया ना था

तन्हा तो बरसों था,

पर यूँ किसी ने रुलाया ना था।


अदावतें तो बहुत देखी

राह-ए-ज़िन्दगी में मगर,

खामोशियों से यूँ कभी

किसी ने सताया ना था।


मुश्किल होगी राह-ए-मोहब्ब्त,

पता था हमें,

दर-ब-दर भटकना पड़ेगा,

किसी ने बताया ना था।


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