Bhavna Thaker

Romance

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Bhavna Thaker

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तिश्नगी

तिश्नगी

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तिश्नगी को हवा न दो उबल रही है

मस्ती शोलों सी दो लरजते सीने में!

 

हथेलियों से थाम कर उर आँगन में बो

ले चलो कुछ तुम्हारी चाहत कुछ मेरे

अहसास को 

शिद्दत की ये आग है पश्मीना के

दुशाला सी गर्म 

इस गर्माहट से सेक लें नर्म स्पंदनों को!


यूँ तुम्हारा तकना हया की बंदिशों को

तोड़कर मेरी निगाहों का बहकना 

रात के आँचल में छुप कर सितारों संग

खेल लेते हैं चलो 

चाँद ने शतरंज बिछाई है बादलों की

चौखट पर!

 

तुम राजा मैं रानी अपने इश्क की

सियासत के 

मद्धम चलती साँसों की लय पर अरमानों

के सपने बुन ले चलो

एक जहाँ बसा ले चलो दूर गगन की

छाँव में!


न तुम्हें कोई देखे ना तुम्हें कोई छुए 

बस तुम रहो मेरी निगाहों के आस-पास मैं

एकाधिकार से अपने रोम रोम में बसा कर

रूह की मंदिर में कर लूँ चलो

विराजमान तुम्हें!


उस चरम तक पहुँचे इश्क अपना

एक दूसरे को चलो ख़ुदा कर ले।।


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