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Bhavna Thaker

Romance

3  

Bhavna Thaker

Romance

तिश्नगी उबल रही है

तिश्नगी उबल रही है

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तिश्नगी को हवा न दो उबल रही है मस्ती शोलो सी दो लरजते सीने में..!

हथेलियों से थामकर उर आँगन में बो ले चलो

कुछ तुम्हारी चाहत कुछ मेरे अहसास को।

शिद्दत की ये आग है पश्मीना के दुशाला सी गर्म

इस गर्माहट से सेंक ले नर्म स्पंदनों को..!

यूँ तुम्हारा तकना हया की बंदिशो को तोड़कर मेरी निगाहों का बहकना,

रात के आँचल में छुपकर सितारों संग खेल लेते है चलो

चाँद ने शतरंज बिछाई है बादलों की चौखट पर..!

तुम राजा मैं रानी अपने इश्क की सियासत के

मद्धम चलती साँसों की लय पर अरमानो के सपने बुन ले चलो

एक जहाँ बसा ले चलो दूर गगन की छाँव में..!

न तुम्हें कोई देखे ना तुम्हें कोई छुए

बस तुम रहो मेरी निगाहों के आस-पास

मैं एकाधिकार से अपने रोम रोम में बसा कर रूह की मंदिर में

कर लूँ चलो विराजमान तुम्हें..!

उस चरम तक पहुंचे इश्क अपना एक दूसरे को चलो खुदा कर लें।।



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