तिनके का सहारा...।
तिनके का सहारा...।
दिल के जख्मों पर
कोई मरहम काम नहीं
आ रहा था।
उनकी यादों की चोट
कतरा-कतरा मुझे कमजोर
कर रही थी।
तिनके का सहारा भी
बेसहारा साबित हुआ।
बस एक हौसला ही
काफी था कि सांसे
चल रही थी।
मेरे मुस्तकबिल में ही नहीं था,
उन्हें पाना।
बस एक आस उम्मीद ही
कदमों को आगे
बढ़ा रही थी।
यह सफर अब तन्हा मुझसे
नहीं काटा जा
रहा था।
दिल के जख्मों पर
कोई मरहम काम नहीं
आ रहा था।
